तुम करते जो काम, मुझे क्या
उसमें नहीं लगाओगे।
कार्य-दिवसों में, मुझे क्या तुम
अपने हाथों न जगाओगे?
अच्छे-बुरे, उत्थान-पतन में
दुनिया के संहार-सृजन में
जो संग तुम्हारे खड़ा हो पाऊँँ
तब क्या तुमसे जाना जाऊँँ।
सोचा था निर्जन छाया में
जहाँँ न न कोई आता-जाता
परिचय होगा उसी जगह पर
सांध्य-काल में मेरा-तेरा।
अंधकार में एकाकी
तुमसे मिलना मानोंं सपना
बुला लो मुझको अपने हाट
खरीद-बिक्री होती जहाँ ।
उसमें नहीं लगाओगे।
कार्य-दिवसों में, मुझे क्या तुम
अपने हाथों न जगाओगे?
अच्छे-बुरे, उत्थान-पतन में
दुनिया के संहार-सृजन में
जो संग तुम्हारे खड़ा हो पाऊँँ
तब क्या तुमसे जाना जाऊँँ।
सोचा था निर्जन छाया में
जहाँँ न न कोई आता-जाता
परिचय होगा उसी जगह पर
सांध्य-काल में मेरा-तेरा।
अंधकार में एकाकी
तुमसे मिलना मानोंं सपना
बुला लो मुझको अपने हाट
खरीद-बिक्री होती जहाँ ।
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