पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Monday, October 14, 2019

गीत 95

पुकारो पुकारो पुकारो मुझे
अपने स्निग्ध, शीतल, गहन
पवित्र अंधकार में ।

तुच्छ दिनों की क्लांति ग्लानि
जीवन को मिलाए धूल में
हर क्षण की सब बातों, मन के
सहस्र विकार में ।

मुक्त करो, हे मुक्त करो मुझे,
अपने निविड़, नीरव, उदार
अनंत अंधकार में ।

नीरव रात, खोकर आवाज’
बाह्य निगलता मेरा बाह्य,
दिखा दे मेरा अंतरतम
अखंड आकार में ।

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