सबसे रखूँ तुम्हें
बचाकर ।
ऐसा पूजाघर पाऊँ कहाँ
अपने घर ।
यदि मेरे दिन–रात में
हों मेरे अपने सब साथ में
दया कर आओ पकड़ में तो
रखूँगा धर ।
मान दे सकूँ ऐसा मानी
मैं तो नहीं
पूजा का भी कोई आयोजन
नहीं है स्वामी ।
यदि तुमसे है प्यार
बज उठेगी स्वयं वंशी,
खिल उठेंगे स्वयं कुसुम
कानन भर ।
बचाकर ।
ऐसा पूजाघर पाऊँ कहाँ
अपने घर ।
यदि मेरे दिन–रात में
हों मेरे अपने सब साथ में
दया कर आओ पकड़ में तो
रखूँगा धर ।
मान दे सकूँ ऐसा मानी
मैं तो नहीं
पूजा का भी कोई आयोजन
नहीं है स्वामी ।
यदि तुमसे है प्यार
बज उठेगी स्वयं वंशी,
खिल उठेंगे स्वयं कुसुम
कानन भर ।
No comments:
Post a Comment