पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Sunday, April 28, 2019

गीत 75 : दया दिये हवे गे मोर

दया दिखाकर धोना होगा 
तुमको मेरा जीवन।
नहीं तो कैसे छू पाऊँगा 
मैं तुम्हारे चरण। 
देता जब तुमको पूजा की डाली
बाहर आ जाती सारी काली
इसीलिए रख न पाता प्राण
मैं तुम्हारे चरण। 

इतने दिन तो नहीं थी मुझको 
कोई व्यथा।
सब अंगों में छाई थी 
मलिनता।
आज इस शुभ्र गोद के नीचे 
व्याकुल हृदय रो-रो मरे। 
मत करने दो और मुझे तुम 
धूलि में शयन।

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