दया दिखाकर धोना होगा
तुमको मेरा जीवन।
नहीं तो कैसे छू पाऊँगा
मैं तुम्हारे चरण।
देता जब तुमको पूजा की डाली
बाहर आ जाती सारी काली
इसीलिए रख न पाता प्राण
मैं तुम्हारे चरण।
इतने दिन तो नहीं थी मुझको
कोई व्यथा।
सब अंगों में छाई थी
मलिनता।
आज इस शुभ्र गोद के नीचे
व्याकुल हृदय रो-रो मरे।
मत करने दो और मुझे तुम
धूलि में शयन।
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