यह मलिन वस्त्र छोड़ना होगा
छोड़ना होगा इस बार-
मेरा यह मलिन अहंकार।
दिन के कामों में धूल लगी
अनेक दागों में हुआ दागी
वैसे भी यह तपा हुआ है
इसको सहना भार
मेरा यह मलिन अहंकार।
अब जब निपटे सारे काम
दिन के अवसान में,
उसके आने का समय हुआ,
आशा जगी प्राण में।
अब स्नान करके आओ तब
पहनने होंगे प्रेम वसन,
संध्या वन के फूल चुनकर
गूँथना होगा हार।
अरे आओ भी
समय नहीं अब पास।
छोड़ना होगा इस बार-
मेरा यह मलिन अहंकार।
दिन के कामों में धूल लगी
अनेक दागों में हुआ दागी
वैसे भी यह तपा हुआ है
इसको सहना भार
मेरा यह मलिन अहंकार।
अब जब निपटे सारे काम
दिन के अवसान में,
उसके आने का समय हुआ,
आशा जगी प्राण में।
अब स्नान करके आओ तब
पहनने होंगे प्रेम वसन,
संध्या वन के फूल चुनकर
गूँथना होगा हार।
अरे आओ भी
समय नहीं अब पास।
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