दौड़े जैसे मेरा सारा प्यार–दुलार
प्रभु तुम्हारी ओर, तुम्हारी ओर, तुम्हारी ओर ।
जाए जैसे मेरी सारी गहरी आशा
प्रभु तुम्हारे कान में, कान में, तुम्हारे कान में ।
चित्त मेरा जब भी जहाँ रहता
तुम्हारी पुकार का रखता ध्यान
जितनी बाधाएँ, सब दूर हों मानों
प्रभु तुम्हारे मोह में, मोह में, तुम्हारे मोह में ।
बाहर है यह भिक्षा–भरी थाली
इस बार अंततः रह जाए यह खाली
अंतर मेरा गोपन हो परिपूरित
प्रभु तुम्हारे दान से, दान से, तुम्हारे दान से ।
हे बंधु मेरे, हे अंतरतर
इस जीवन में जो कुछ सुंदर
सब आज बज उठें सुर में
प्रभु तुम्हारे गान में, गान में, तुम्हारे गान में ।
प्रभु तुम्हारी ओर, तुम्हारी ओर, तुम्हारी ओर ।
जाए जैसे मेरी सारी गहरी आशा
प्रभु तुम्हारे कान में, कान में, तुम्हारे कान में ।
चित्त मेरा जब भी जहाँ रहता
तुम्हारी पुकार का रखता ध्यान
जितनी बाधाएँ, सब दूर हों मानों
प्रभु तुम्हारे मोह में, मोह में, तुम्हारे मोह में ।
बाहर है यह भिक्षा–भरी थाली
इस बार अंततः रह जाए यह खाली
अंतर मेरा गोपन हो परिपूरित
प्रभु तुम्हारे दान से, दान से, तुम्हारे दान से ।
हे बंधु मेरे, हे अंतरतर
इस जीवन में जो कुछ सुंदर
सब आज बज उठें सुर में
प्रभु तुम्हारे गान में, गान में, तुम्हारे गान में ।
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