पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Thursday, May 23, 2019

गीत 86 : आमारे यदि जागाले आजि, नाथ

जब आज जगाया मुझको नाथ,
लौटना मत तब, लौटना मत,
करो करुणा दृष्टिपात।
निबिड़ वन–शाखा के ऊपर
आषाढ़–मेघ, आँधी–पानी में,
बादल छाए, अलसाई–सी
सोई पड़ी है रात।
लौटना मत तब, लौटना मत,
करो करुणा दृष्टिपात।

अविराम बिजली की घात
नींद गँवाए प्राण
वर्षाजल–धारा के साथ
गाना चाहें गान।
हृदय मेरी आँखों के जल में
बाहर आकर तिमिर–तल में
व्याकुल हो खोजे आकाश
बढ़ाकर दोनों हाथ।
लौटना मत तब, लौटना मत,
करो करुणा दृष्टिपात।

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