पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Friday, May 24, 2019

गीत 87 : छिन्न क'रे लओ हे मोरे

तोड़ लो मुझे तुम हे,
और न करो देर
झड़कर न धूल में मिल जाऊँ
यह भय मुझे दे टेर।
यह फूल तुम्हारी माला में
गूँथ पाएगा, यह नहीं जानता
पर शायद तुम्हारा आघात
हो उसका भाग्यलेख
तोड़ लो, तोड़ लो,
और न करो देर।

जाने कब दिन ढल जाएगा
अंधकार के साथ आएगा
जाने कब तुम्हारी पूजा–बेला
गुजर जाएगी अदेख।
जितना भी इसमें रंग भरा है
गंध–सुधा से हृदय भरा है
अपनी सेवा में वही स्वीकारो
जब तक है यह बेर
तोड़ लो, तोड़ लो,
और न करो देर।

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