विपदा में रक्षा करना मेरी
यह न मेरी प्रार्थना,
विपदा में बस मुझको न होवे भय।
दुःख-ताप में जब चित्त व्यथित हो
न देना मुझको सांत्वना
दुःख में बस मेरी ही होवे जय।
घटे न आत्मबल मेरा कभी
यदि सहायता मुझको न मिले
जगत-व्यवहार में घाटा उठाऊँ
और वंचना केवल मिले
अपने मन में बस कभी न मानूँ क्षय।
बचा लो मुझे तुम
यह न मेरी प्रार्थना,
बस इतनी शक्ति बची रहे कि पार मैं पा सकूँ।
भार मेरा कम करके
न देना मुझको सांत्वना
बस इतना भर हो कि भार मैं उठा सकूँ।
सुख में भी नतशिर हो
पहचान पाऊँ मुख तुम्हारा
दुःखभरी रात में जिसदिन
निखिल धरा भी करे वंचना
बस तुम्हें लेकर न हो मुझको कोई संशय।
यह न मेरी प्रार्थना,
विपदा में बस मुझको न होवे भय।
दुःख-ताप में जब चित्त व्यथित हो
न देना मुझको सांत्वना
दुःख में बस मेरी ही होवे जय।
घटे न आत्मबल मेरा कभी
यदि सहायता मुझको न मिले
जगत-व्यवहार में घाटा उठाऊँ
और वंचना केवल मिले
अपने मन में बस कभी न मानूँ क्षय।
बचा लो मुझे तुम
यह न मेरी प्रार्थना,
बस इतनी शक्ति बची रहे कि पार मैं पा सकूँ।
भार मेरा कम करके
न देना मुझको सांत्वना
बस इतना भर हो कि भार मैं उठा सकूँ।
सुख में भी नतशिर हो
पहचान पाऊँ मुख तुम्हारा
दुःखभरी रात में जिसदिन
निखिल धरा भी करे वंचना
बस तुम्हें लेकर न हो मुझको कोई संशय।
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