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Wednesday, July 7, 2010

बांग्‍ला एवं अंग्रेजी 'गीतांजलि'

प्राय: साधारण पाठकों में यह भ्रम पाया जाता है कि रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर की जिस कृति को नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ, वह उनकी बांग्‍ला कृति का अविकल अंग्रेजी अनुवाद है, लेकिन यह तथ्‍य सही नहीं है। वास्‍तविकता यह है कि अंग्रेजी गीतांजलि की 103 रचनाओं में से केवल 53 रचनाऍं ही रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर ने अपनी बांग्‍ला गीतांजलि से लिए हैं तथा 1 'चैताली', 1 'कल्‍पना', 15 'नैवेद्य', 1 'स्‍मरण', 3 'शिशु', 11 'खेया' से, जबकि अन्‍य रचनाऍं विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं से चयित हैं। असंकलित रचनाओं से 16 बाद में 'गीतिमाल्‍य' में और 1-1 'अचलायतन' एवं 'उत्‍सर्ग' नामक संकलनों में संगृहीत हुईं।
इसी प्रकार अंग्रेजी पाठ से अपरिचित पाठकों में से अधिकांश यह समझते हैं नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त 'गीतांजलि' भी बांग्‍ला 'गीतांजलि' की तरह अंग्रेजी छंदबद्ध पद्यकृति है, लेकिन यह बात भी तथ्‍यों से परे है। वास्‍तव में यह अंग्रेजी गद्य में है। इसका प्रभाव भले ही काव्‍यात्‍मक है। यहॉं यह बात भी उल्‍लेखनीय है कि अंग्रेजी गीतांजलि की विश्‍वव्‍यापी स्‍वीकृति एक अनूदित कृति के रूप में न होकर मौलिक कृति के रूप में है। इसका प्रमुख कारण संभवत: यही है कि अपने बांग्‍ला गीतों को अंग्रेजी में प्रस्‍तुत करने क्रम में कवि ने न केवल रचना की मूल विधा से स्‍वयं को स्‍वतंत्र किया है, वरन संप्रेषण के स्‍तर पर भी मूल शब्‍द प्रयोगों के बंधन में न बंधकर केन्‍द्रीय भाव मात्र की रक्षा करते हुए प्रकारांतर से मानों एक नई भाषा में नई रचना को ही जन्‍म दिया है।
यही कारण है कि 1915 ई. में प्रकाशित प्रथम हिन्‍दी अनुवाद से लेकर 'गीतांजलि' के अद्यतन हिन्‍दी अनुवाद भी पद्य और गद्य, दोनों ही विधाओं में प्राप्‍त होते हैं। इनमें से कुछ अनुवाद मूल अंग्रेजी से किए गए हैं, जबकि कुछ मूल बांग्‍ला से। मूल अंग्रेजी से किए गए सभी अनुवाद गद्य में हैं, लेकिन मूल बांग्‍ला से किए अनुवादों में से कुछ पद्य में हैं, तो कुछ गद्य में। कुछेक अनुवादों में केवल मूल अंग्रेजी में संकलित गीतों को मूल बांग्‍ला से अनुवाद कर प्रस्‍तुत किया गया है।
हिन्‍दी में 'गीतांजलि' के अब तक 38 अनुवाद और 10 देवनागरी लिप्‍यंतर प्रकाशित हुए हैं। 2010 बांग्‍ला 'गीतांजलि' के प्रकाशन की शतवार्षिकी है। इस अवसर पर इंटरनेट के पाठकों के लिए बांग्‍ला 'गीतांजलि' का एक और हिन्‍दी अनुवाद प्रस्‍तुत करने का संकल्‍प मैंने लिया है। आशा है, सबके द्वारा इसे पसंद किया जाएगा। प्रतिक्रियाओं और सुझावों का निरंतर स्‍वागत है।

1 comment:

  1. देवेशजी,
    गीतांजलि के नवीनतम अनुवाद की प्रस्‍तुति के लिए आपके इस कदम का स्‍वागत है। चूँकि आपने हिन्‍दी के सभी 38 अनुवादों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन किया हुआ है, इसलिए आशा है कि आप द्वारा एक प्रामाणिक और निर्दोष अनुवाद हिन्‍दी जगत को प्राप्‍त होगा

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